बरसात की रात - 1 Sarvesh Saxena द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बरसात की रात - 1

भाग – 1

“ अरे जल्दी भाग.. वो पीछे आ रहे हैं, तू ऐसा कर इधर से भाग जा, दोनों साथ रहेंगे तो ज्यादा खतरा है, तू मुझे उस मोड वाले कब्रिस्तान में मिल, मैं वही तेरा इंतजार करूंगा"

रूपेश ने भागते हुए बब्बन से कहा |

बब्बन ने हैरानी से पूछा - "लेकिन यार कब्रिस्तान में" ??

रूपेश गुस्से मे बोला - "और क्या.. ये रात का समय है वहां पुलिस नहीं आएगी और वहां इस समय कोई नहीं होगा, तू बेकार के सवाल जवाब मत कर, बस जान बचाने की सोच पहले"|

बब्बन ने कहा “ चल ठीक है….” |

यह कहकर बब्बन और रुपेश अलग-अलग भागने लगे, पुलिस जो उनके पीछे पडी थी |

बब्बन और रुपेश दो शातिर चोर थे, दोनों एक घर से जेवर और रुपए चुरा कर भाग रहे थे कि पुलिस को खबर मिल गई और पुलिस ने दोनों को दौड़ा लिया | पुलिस से बचने के लिए दोनों ने रास्ते में पड़ने वाले कब्रिस्तान में छुपने का इरादा किया |

रात का सन्नाटा चारों और पसरा हुआ था | उस पर ये बरसात का मौसम, बादलों ने भी गड्गडाना शुरू कर दिया था, ऐसे में न जाने कब बारिश होने लगती कोई पता नहीं था | दोनों चोर अलग अलग रास्ते से भागने लगे और दोनों पुलिस वाले घनश्याम और आशीष भी उन दोनों का पीछा करते करते कब्रिस्तान के पास पहुंच गये |

कुछ देर बाद वह दोनों जाकर कब्रिस्तान में अलग-अलग छुप गए | कब्रिस्तान मे बिल्कुल सन्नाटा पसरा था, बड़े बड़े पेड़ और घने अंधेरे में पुलिस वालों को कोई नहीं दिख रहा था | बरसाती मेढक और झींगुर की आवाज से पूरा कब्रिस्तान गूंज रहा था तभी इंस्पेक्टर घनश्याम ने हवलदार आशीष से कहा “ कहां गए साले ये चोर, नाक में दम कर रखा है ज्यादा दूर तक तो वैसे अभी गए नहीं होंगे क्योंकि यहां तक आने के लिए तो सिर्फ दो ही रास्ते हैं और उनसे भी हम दोनों आये हैं, इसका मतलब वह यहीं कहीं है तभी अशीष ने कहा “ सर ऐसा तो नहीं यह दोनों कब्रिस्तान में छुपे हों” तभी घनश्याम ने हंसते हुए कहा “ अरे क्या बात करते हो यार इस कब्रिस्तान में लोग दिन में जाने से डरते हैं तो भला रात में कौन जाएगा, वह भी ऐसी बरसात में, घास देख रहे हो यहां की कितनी कितनी बड़ी हो गई है और तो और तुम्हें भी इस शहर में कितने साल हो गए सुना तो होगा ही कि इस कब्रिस्तान में जाने वाला शख्स कभी वापस नहीं आया, इसीलिये तो तीन चार साल से इसमे लाशें दफन करना भी बन्द कर दिया है लोगों ने |

इस पर आशीष ने कहा “ हां सर सुना तो है लेकिन मैं इन सब चीजों को मानता नहीं हूं” | कुछ देर तक वहां खडे रहने के बाद घनश्याम ने कहा “ चलो चलते हैं, इस बार तो यह साले बचकर चले गये लेकिन अगली बार इनको जरूर दबोच लूंगा” | ये सुनकर आशीष ने कहा “ साहब हमें यहीं रुक कर नजर रखनी चाहिए थोड़ी देर, क्या पता दोनों कब्रिस्तान में हों और अभी निकलें” | ये कहकर दोनों वहीं खडे हो गये |

अंदर छुपे दोनों चोर बब्बन और रुपेश अभी तक अलग अलग ही छुपे थे जो इन दोनों के जाने का इंतजार कर रहे थे क्योंकि अगर इन दोनों को जरा भी झाड़ियों की सरसराहट तक महसूस हुई तो आज तो उनकी खैर नहीं इसलिए वो दोनों चुपचाप वहीं कब्रों के पास छुपे रहे कि तभी बादल ने गडगडाना शुरू कर दिया और देखते देखते जोरों की बारिश होने लगी |

जोरों की बारिश होने के कारण पुलिस वाले भी चले गये और जैसे ही वो गये रुपेश और बब्बन ने एक दूसरे को कब्रिस्तान मे ढूंढ लिया |

रुपेश ने ठंडी आह लेते हुये कहा - "सच में यार आज तो इस कब्रिस्तान ने बचा लिया, नहीं तो आज तो हम दोनों ही गए थे, जेल तो होती ही होती साथ में इतना ज्यादा माल भी चला जाता, जिंदा लोग तो काम आते नहीं है लेकिन मरे लोग हमारे कितने काम आ गए, हा हा हा हा हा" |

यह कहकर दोनों हंस पड़े |

बब्बन बोला- "लेकिन यार पुलिस यहां से तो चली गई लेकिन वह हमें जरूर ढूंढेगी, अब क्या करें"??

रुपेश गुस्से मे बोला -" अरे यार, तू बस रोता रहता है, आगे क्या होगा वो बाद मे सोचेंगे, अभी तो माल देखते हैं” |

बब्बन ने फिर कहा “ पर यार अब क्या करना है ये तो सोच, बारिश भी सुबह तक रुकने वाली नही” |

रुपेश ने कहा “ करना क्या है, इतनी बारिश में कहां जायेंगे इसीलिए मैं कहता हूं कि रात भर कब्रिस्तान में ही रह जाएं, सुबह उठकर किसी वक्त निकल लेंगे यार, और वैसे भी अब पुलिस तो जा चुकी है” | ये कहकर दोनों इधर उधर देखने लगे | बारिश अब और तेज हो चुकी थी, और जिस पेड के नीचे वो खडे थे अब उसके नीचे भी धीरे धीरे पानी भर रहा था इसलिये दोनों एक कब्र के ऊपर खडे हो गये और बारिश से बचने का कोई उपाय सोचने लगे, तभी जोरदार बिजली कडकी जिसकी चमक मे उन्हे पूरा कब्रिस्तान दिख गया और वहीं एक कोने में एक जगह दिखी |

रूपेश ने कहा “ यार देख वहां पर बैठने की जगह है, बडी सी टीन पडी है, आ, जल्दी चल वहीं, वर्ना पूरी रात ऐसे बारिश में काटनी पडेगी” |

बब्बन ने खुश होते हुये कहा-" हां.. हां.. यार यह सही रहेगा, चल वहां आराम से बैठ कर माल गिनते हैं "|

दोनों जल्दी से कब्रिस्तान के एक कोने में पड़ी टीन के नीचे आकर बैठ गए जो शायद इसीलिए लगाई गई थी की अगर किसी को दफनाते समय बारिश होने लगे तो लोग इसके नीचे बैठ सकें | दोनो बैठकर एक बैग खोलकर चुराया हुआ माल देखने लगे |

चारों ओर बस बारिश का शोर सुनाई दे रहा था और बिजली की चमक से बार बार इस कब्रिस्तान की सारी कब्र दिखाई दे जाती थीं जो किसी भयानक मंजर से कम नही लग रहीं थीं, कौन जानता था कि ये कब्रें कितने सालों से मौत के आगोश में सोई हुई है |

दोनों चोर चुराये हुए माल को देखने में मस्त थे कि तभी उन्हें पायल की आवाज सुनाई दी... छन.. छन.. छन.. ,दोनों इधर उधर देखने लगे, वो आवाज इस तेज बारिश में भी इतनी साफ सुनाई दी की उन्हें लगा जैसे कोई उनके ठीक पीछे ही खड़ा हो |

रूपेश ने कहा, “ इतनी रात गये और इस बारिश में कब्रिस्तान के अंदर कोई औरत तो नहीं हो सकती, इसका मतलब ये तू ही कर रहा है, चल दिखा कितनी वजनदार पायल चुराई है” | बब्बन ये सुनकर भड़क गया और बोला " अबे क्या बात कर रहा है मेरे पास कुछ नहीं है, ये जरूर तेरा काम है, चल निकाल जो भी छुपा रखा है, दोनों ने एक दूसरे की तलाशी ली तो कुछ नहीं निकला और दोनों शांत हो गए | वो दोनों बिना ज्यादा ध्यान दिये फिर नोट गिनने लगे कि तभी आवाज फिर आई पर इस बार आवाज सिर्फ बब्बन को आई |

बब्बन ने कहा, “यार यहां कुछ गड़बड़ लगता है, ऐसा कर कहीं और छुप जाते हैं चल के, कब्रिस्तान में रहना ठीक नहीं लग रहा है” |

रुपेश बोला - “ बकवास बंद कर यार, कितनी मुश्किल से जान बचाई है, तू क्या चाहता है, फिर से अपनी जान जोखिम में डाल लें, चुपचाप यहीं बैठा रह, तुझे पता है ना ये नया पुलिस वाला गिद्ध जैसे नजर रखे है हम पर, क्या पता कहीं आस पास इस बारिश में भी हमे नोचने के लिए भटक रहा हो, और सबसे जरूरी बात तो ये की मैं अपने ये कड़कड़े नोट इस बारिश में कैसे भीगा लूं यार, आधी रात तो गुजर गई है, आधी रात और गुजर जाएगी, समझा....अब देख के बताना कितना टाइम हो रहा है” ?

बब्बन ने अपनी कलाई की ओर देखते हुये कहा “ यार मेरी तो घडी ही कब्रिस्तान के गेट से कूदते वक़्त गिर गई थी, मै बैग में पडी तेरी घडी से देखकर बताता हूं” |

उसने बैग से घड़ी निकालकर कहा - “ डेढ बज रहे हैं” |